*26 बरस के सफर में लगातार अबरख नगरी की खो रही पहचान*

कोडरमा। 10 अप्रैल 1994 को हज़ारीबाग़ से कटकर एकमात्र अनुमंडल वाला कोडरमा जिला के रूप में अस्तित्व में आया था। 1994 से 2020 तक के 26 बरस के सफर में कई उपलब्धियों से बेशक  कोडरमा ने मान-सम्मान बढ़ाया है,लेकिन इस सफर में कोडरमा ने खोया भी बहुत कुछ है। कोडरमा की पहचान अबरख की वजह से बनी। अबरख नगरी के नाम से देश-दुनियां में मशहूर कोई नाम था तो वो नाम कोडरमा का था। लेकिन अब कोडरमा का नाम इन 26 सालों के सफर में अबरख व्यवसाय के लिए बहुत कम लिया जाता है। क्योंकि कोडरमा में सरकार की नीतियों और फॉरेस्ट कानून के कारण अबरख व्यवसाय अंतिम सांसे ले रही है। कभी अबरख के व्यापार की वजह से कोडरमा जिला का हर इलाका जगमग हुआ करता था। इस जिले की प्रमुख शहर झुमरीतिलैया में अबरख व्यवसाय की चमक के कारण बाज़ार में रौनक रहती थी, जिसके कारण ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था मजबूत रहती थी।

 

 *रेडियो पर फरमाइशी गीतों वाला शहर ले रहा करवट*

 

26 सालों के कोडरमा जिला बनने के सफर में अबरख की चमक क्या फीकी हुई। रेडियो पर फरमाइशी गीतों के लिए  सुनाई देने वाला शहर झुमरीतिलैया अपनी संगीत प्रेमी होने वाला छवि भी खो चुकी है। तकनीक के इस दौर में ना अब रेडियो बजती है ना रेडियो कहीं दिखाई देती है। अब तो बस रेडियो की सुनहरी यादें ही बाकी है। झुमरीतिलैया शहर का हृदय स्थल झंडा चौक का भी स्वरूप बदल गया है। अब चौक तिरंगा रंग में रंग चुका है।

 

 

 *डीवीसी का कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन बनना ,शहर में चिल्ड्रन पार्क बेहतर प्रयास*

 

स्थापना के 26 साल के बाद कोडरमा जिला ने कई उपलब्धि हासिल किया है. जहाँ वर्ष 2000 मे लिंग मे 1000 पर 1001 महिला हुआ करती थी, लेकिन इन दिनों उसमे भारी गिरावट आयी है. जिला की एक मात्र उपलब्धि डीवीसी का कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन बनना है. जहाँ एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा रहा है. लेकिन जिला का दुर्भाग्य है कि इस परियोजना से पूरे जिले को बिजली नहीं मिल रहा है और राज्य से बाहर दूसरे राज्यों को बिजली बेचा रहा है।वही झुमरीतिलैया नगर परिषद क्षेत्र में चिल्ड्रेन पार्क एक बेहतर शहर निर्माण की कल्पना की उम्मीद बढ़ाने वाली कदम है। ऐसे भी शहर में सार्वजनिक स्थल वैसे नही थे, जहां बच्चो के संग कुछ पल गुजारा जा सके। चिल्ड्रन पार्क ब्लॉक मैदान के काफी नजदीक है, जहां सुबह सुबह हेल्थ क्लब के लोग व्यायाम करने पहुंचते है। जबकि आम दिनों में शहर के युवक-युवती यहां पहुंचते है। एक तरह शहर में यह कुछ पल गुजारने का बेहतर स्थल है।

 

 *दो दशक में बदल गयी राजनीतिक जमीन* 

 

कोडरमा जिला के 26 साल के इतिहास का जब भी जिक्र होगा,इस दौर में राजनीतिक बदलाव की आहट पर जरूर बात होगी। इस जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र कनेक्ट है। कोडरमा, बरकट्ठा और बरही। जबकि लोकसभा क्षेत्र कोडरमा के नाम से ही है। 1994 के बाद से यहां राजद का गढ़ रहा है। विधायक -मंत्री रहे स्व रमेश प्रसाद यादव के आकस्मिक मृत्यु के बाद राजद के समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने का कार्य उनकी पत्नी श्री मति अन्नपूर्णा देवी ने किया। लेकिन 2014 में मोदी लहर पर सवार होकर डॉ नीरा यादव ने राजद की  अन्नपूर्णा देवी को हरा कर राजनीतिक बदलाव की दस्तक दी। 2019 आते आते राजद के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल रहीं अन्नपूर्णा देवी नें लोकसभा चुनाव के दौरान राजद छोड़ भाजपा में शामिल हो गयी। भाजपा ने उन्हें कोडरमा से टिकट दिया और भारी मतों से करीब साढ़े चार लाख से ज्यादा मतों से विजयी हुई। हालांकि लोगों की उम्मीद थी कि अन्नपूर्णा देवी को मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन मोदी सरकार में उन्हें जगह नही मिली। विधानसभा चुनाव में एकबार फिर भाजपा ने डॉ नीरा यादव को टिकट देकर मैदान में उतारा। उम्मीद जताया जा रहा था कि नेताविहीन राजद विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने कहीं नही टिकेगी। लेकिन राजद ने विधानसभा चुनाव में अपने मास्टरस्ट्रोक के जरिये भाजपा को जबरदस्त टक्कर दी। राजद के अमिताभ चौधरी ने कांटे की टक्कर दी। महज 1732 वोट के अंतर से डॉ नीरा यादव लगातार दूसरी बार विधायक बनीं। जबकि तीसरे नंबर पर भाजपा से बगावत कर आजसू प्रत्याशी बनीं शालिनी गुप्ता रहीं। फिलहाल लोकसभा और विधानसभा दोनों जगह भाजपा का कब्जा है। केंद्र में भाजपा की सरकार और राज्य में हेमंत सरकार।

 

*भविष्य मे उस दिशा मे हम आगे बढ़ेंगे*

 

वही रिपोर्ट में 26 साल मे कोई कल कारखाने नहीं खुलने से यहाँ के हजारों युवा राज्य के बाहर दूसरे राज्य मे पलायन को मजबूर हैं। उम्मीद करते हैं कि जिन अपेक्षाओं के साथ कोडरमा जिला का स्थापना हुआ था भविष्य मे उस दिशा मे हम आगे बढ़ेंगे।